Friday, 5 August 2016

घर के मंदिर में हो श्रीकृष्ण की मूर्ति तो न भूले ये 6 चीजें

घर के मंदिर में हो श्रीकृष्ण की मूर्ति तो न भूले ये 6 चीजें

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घर के मंदिर में हो श्रीकृष्ण की मूर्ति तो न भूले ये 6 चीजें

श्री कृष्ण को प्रेम स्वरूप माना जाता है। ग्रंथों में कहा गया है कि श्री कृष्ण का व्यक्तित्व बहुत ही सम्मोहक है। वे पीलापीतांबर धारण करते हैं और उनके मुकुट पर मोर पंख है। श्री कृष्ण को छ: चीजों से बहुत प्रेम है, पहली बांसुरी जो हमेशा उनके होंठों से लगी रहती है। दूसरी गाय व तीसरी माखन मिश्री, चाैथा मोर पंख और पांचवा कमल और वैजयंती माला। ये छ: चीजें श्री कृष्ण को प्रिय होती है इसलिए जो भी श्री कृष्ण को ये चीजें अर्पित करता है। उसके घर में हमेशा सुख समृद्धि व ऐश्वर्य बना रहता है। आइए जानते हैं श्री कृष्ण को क्यों प्रिय है ये 6 चीजें…

श्री कृष्ण को प्रेम स्वरूप माना जाता है। ग्रंथों में कहा गया है कि श्री कृष्ण का व्यक्तित्व बहुत ही सम्मोहक है। वे पीलापीतांबर धारण करते हैं और उनके मुकुट पर मोर पंख है। श्री कृष्ण को छ: चीजों से बहुत प्रेम है, पहली बांसुरी जो हमेशा उनके होंठों से लगी रहती है। दूसरी गाय व तीसरी माखन मिश्री, चाैथा मोर पंख और पांचवा कमल और वैजयंती माला। ये छ: चीजें श्री कृष्ण को प्रिय होती है इसलिए जो भी श्री कृष्ण को ये चीजें अर्पित करता है। उसके घर में हमेशा सुख समृद्धि व ऐश्वर्य बना रहता है। आइए जानते हैं श्री कृष्ण को क्यों प्रिय है ये 6 चीजें….
Why krishna loves these six things
मुरली या बांसुरी (Murali, Bansuri or Flute)- 
Why krishna loves bansuri, murli
कृष्ण को बांसुरी बहुत पसंद है, क्योंकि यह कान्हा को बहुत प्रिय है, इसके तीन मुख्य कारण हैं पहला बांसुरी एकदम सीधी होती है। उसमें किसी तरह की गांठ नहीं होती है। जो संकेत देता है कि अपने अंदर किसी भी प्रकार की गांठ मत रखों। मन में बदले की भावना मत रखो। दूसरा बिना बजाए ये बजती नहीं है। मानो बता रही है कि जब तक ना कहा जाए तब तक मत बोलो और तीसरा जब भी बजती है मधुर ही बजती है। जिसका अर्थ हुआ जब भी बोलो, मीठा ही बोलो। जब ऐसे गुण किसी में भगवान देखते हैं, तो उसे उठाकर अपने होंठों से लगा लेते हैं।
गाय (Cow)-
Why krishna loves cow
कहते हैं गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास होता है। साथ ही, यह सभी गुणों की खान है। गाय श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है। गाय से प्राप्त गौ का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी, आदि पंचगव्य कहलाते हैं। मान्यता है कि इनका पान कर लेने से शरीर के भीतर पाप नहीं ठहरता। इसलिए घर के मंदिर में कृष्ण जी के साथ ही गाय व बछड़ा भी रखना चाहिए।
मोरपंख  (Morpankah)- 
Why krishna loves mor pankah
मोर का पंख देखने में बहुत सुंदर होता है। इसलिए इसे सम्मोहन का प्रतीक माना जाता है। मोर को चिर-ब्रह्मचर्य युक्त प्राणी समझा जाता है।  इसलिए श्री कृष्ण मोर पंख धारण करते हैं। मोर मुकुट का गहरा रंग दु:ख और कठिनाइयों, हल्का रंग सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
कमल (Kamal)-
Morpankah
कमल कीचड़ में उगता है और उससे ही पोषण लेता है, लेकिन हमेशा कीचड़ से अलग ही रहता है। इसलिए कमल पवित्रता का प्रतीक है। इसकी सुंदरता और सुगंध सभी का मन मोहने वाली होती है। साथ ही कमल यह संदेश देता है कि हमें कैसे जीना चाहिए? सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन किस प्रकार जिया जाए इसका सरल तरीका बताता है कमल।
मिश्री अौर माखन (Mishri aur Makhan)-
Why krishna loves  mishri aur makhan
कान्हा को माखन मिश्री बहुत ही प्रिय है। मिश्री का एक महत्वपूर्ण गुण यह है कि जब इसे माखन में मिलाया जाता है, तो उसकी मिठास माखन के कण-कण में घुल जाती है। उसके प्रत्येक हिस्से में मिश्री की मिठास समा जाती है। मिश्री युक्त माखन जीवन और व्यवहार में प्रेम को अपनाने का संदेश देता है। यह बताता है कि प्रेम में किसी प्रकार से घुल मिल जाना चाहिए।
वैजयंती माला (Vaijayanti mala)-
Why krishna loves vaijayanti mala
भगवान के गले में वैजयंती माला है, जो कमल के बीजों से बनी हैं। दरअसल, कमल के बीज सख्त होते हैं। कभी टूटते नहीं, सड़ते नहीं, हमेशा चमकदार बने रहते हैं। इसका तात्पर्य है, जब तक जीवन है, तब तक ऐसे हमेशा प्रसन्न रहाे। दूसरा यह माला बीज है, जिसकी मंजिल होती है भूमि। भगवान कहते हैं जमीन से जुड़े रहो, कितने भी बड़े क्यों न बन जाओ। हमेशा अपने अस्तित्व की असलियत के नजदीक रहो।

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